इदन्नमम' ग्रामीण परिवेश की पृष्ठभूमि पर रची गई एक सशक्त रचना है जिसमे मैत्रयी पुष्पा ने आंचलिकता का समावेश कर अपनी सृजनशीलता का अत्यधिक सधा हुआ प्रयोग किया है ।
इदन्नमम में लेखिका ने न केवल गांव की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं को उठाया है, बल्कि स्त्री चेतना की मौलिक अभिव्यक्ति करने का प्रयास भी किया है । उपन्यास बुंदेलखंड के गाँवों में केंद्रित है जहां की जटिल भौगोलिक परिस्थितियों में खेतिहरों की दशा बहुत ही दयनीय है। साथ ही अवैध खनन माफियाओं के शोषण ने वहां के लोगों का जीवन और भी दुष्कर बना दिया है।
इदन्नमम तीन पीढ़ियों की औरतों के द्वंद को सूक्ष्मता के साथ प्रकट करता है । बऊ, प्रेम और मन्दा क्रमशः दादी, बहु और पोती की भूमिका में में उपस्थित संघर्षरत स्त्रियां हैं जो विभिन्न परिस्थितियों में अलग-अलग संकटो से गुजरते हुए नारी जीवन की चुनौतियों को गंभीरता के साथ प्रस्तुत करतीं हैं। कई सहायक पात्र हैं जो कहानी के समानांतर अत्यंत सशक्त वातावरण तैयार करते हैं।
मन्दा उपन्यास की प्रमुख पात्र है, उसने विषमताओं से भरा जीवन देखा है। माता-पिता के स्नेह के अभाव और अनुभवी बऊ के मातृत्व में पली मन्दा का व्यक्तित्व जितना कोमल है उतना ही निर्भीक और साहसी भी है। वह अपने अधिकारों के प्रति सचेत है और गाँव में होने वाले अपराधों के विरोध में आवाज उठाती है।
मन्दा गाँव वालों को उनके राजनीतिक अधिकारों के प्रति भी जागरूक करती है और इस प्रकार समाज की सेवा में आहुति देती है।
इदन्नमम में लेखिका ने न केवल गांव की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं को उठाया है, बल्कि स्त्री चेतना की मौलिक अभिव्यक्ति करने का प्रयास भी किया है । उपन्यास बुंदेलखंड के गाँवों में केंद्रित है जहां की जटिल भौगोलिक परिस्थितियों में खेतिहरों की दशा बहुत ही दयनीय है। साथ ही अवैध खनन माफियाओं के शोषण ने वहां के लोगों का जीवन और भी दुष्कर बना दिया है।
इदन्नमम तीन पीढ़ियों की औरतों के द्वंद को सूक्ष्मता के साथ प्रकट करता है । बऊ, प्रेम और मन्दा क्रमशः दादी, बहु और पोती की भूमिका में में उपस्थित संघर्षरत स्त्रियां हैं जो विभिन्न परिस्थितियों में अलग-अलग संकटो से गुजरते हुए नारी जीवन की चुनौतियों को गंभीरता के साथ प्रस्तुत करतीं हैं। कई सहायक पात्र हैं जो कहानी के समानांतर अत्यंत सशक्त वातावरण तैयार करते हैं।
मन्दा उपन्यास की प्रमुख पात्र है, उसने विषमताओं से भरा जीवन देखा है। माता-पिता के स्नेह के अभाव और अनुभवी बऊ के मातृत्व में पली मन्दा का व्यक्तित्व जितना कोमल है उतना ही निर्भीक और साहसी भी है। वह अपने अधिकारों के प्रति सचेत है और गाँव में होने वाले अपराधों के विरोध में आवाज उठाती है।
मन्दा गाँव वालों को उनके राजनीतिक अधिकारों के प्रति भी जागरूक करती है और इस प्रकार समाज की सेवा में आहुति देती है।
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