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Showing posts from April, 2022

The Kashmir Files

भर्तृहरि नीतिशतकम में लिखते हैं :  "हिरण, मछली और सज्जन को मात्र घास, पानी और शांति की आवश्यकता होती है, परन्तु फिर भी इस संसार में अकारण ही उनके शत्रु  क्रमशः शिकारी , मछुआरे तथा दुष्ट लोग होते हैं।" कश्मीरी पंडितों को मारा नही गया बल्कि उनका शिकार किया गया। यह कोई लड़ाई नही थी बल्कि आतताइयों के द्वारा निर्दोषों पर घात लगाकर किया गया हमला था। यह उस पराजित मानसिकता के द्वारा किया गया सुनियोजित रक्तपात था जो स्वयं कुछ निर्मित नही कर सकने की कुंठा में सब कुछ मिटा कर विध्वंस करने में यकीन रखती है। 14वीं सदी में सिकंदर बुतशिकन इस मानसिकता का प्रस्थान बिंदु था और 1990 पुनरावृत्ति।  कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है यह हम मानते आये हैं लेकिन इस आंगिक एकता का आधार क्या है, यह TKF देख कर पता चलता है। वह आधार है कश्मीर में भारतीय सभ्यता के एक नए अध्याय का सूत्रपात करने वाले कश्मीरी हिन्दू और बौद्ध, जिन्होंने कश्मीर की सांस्कृतिक लौ को अपने तेज, तप और त्याग की अग्नि से इस प्रकार प्रज्वलित किया कि वह cradle of civilization की उपाधि से सुशोभित हुआ। लेकिन फिर कश्मीर को जन्नत बनाने व