प्रेमचंद भारतीय जनमानस के सूत्रों को व्याख्यायित करने वाले लेखक है। 'कर्मभूमि' उनके द्वारा लिखा गया एक राजनीतिक उपन्यास है जिसका प्रकाशन वर्ष 1932 में हुआ। इस दौर में देश महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहा था। कथानक बनारस और हरिद्वार के इर्द-गिर्द के इलाकों के परिवेश में बुना गया है। कर्मभूमी के विभिन्न पात्र अलग-अलग वर्गों एवं मानसिकता का प्रतिनिधित्व करते हैं। अमरकांत और उसकी पत्नी सुखदा देश और समाज के प्रति संवेदनशील है। अमरकांत एक दृढ़ समाज सेवक है जो गांधीवादी रास्ते पर चल कर अपने सामाजिक दायित्व को पूरा करने का प्रयास करता है। 'लाला समरकान्त' कुटिल साहूकार है और पैसों के पीछे जान छिड़कते हैं। 'गूदड़' निम्न जाति का किसान है जो सामन्तवादी शोषण का शिकार होता है। इस प्रकार विविधता से भरे अनेक पात्र इस उपन्यास में जगह-जगह आकर अपनी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाते है। इसके अलावा अमरकांत और मुस्लिम लड़की सकीना में प्लेटोनिक प्रेम का भी प्रसंग है लेकिन प्रेमचंद ने उसे ज्यादा बढ़ने नहीं दिया है। प्रेमचंद ने इस उपन्यास में कई तरह की युगीन समस
धर्म और साहित्य, थोड़ा दर्शन और थोड़ा मनोविज्ञान