कठगुलाब मृदुला गर्ग का स्त्री विषयक प्रसिद्ध उपन्यास है। लेखिका ने इस उपन्यास के माध्यम से नारी संघर्ष और नारी सामर्थ्य दोनों ही पक्षों का बखूबी चित्रण किया है। उपन्यास के केंद्र में अलग-अलग परिस्थितियों में पितृसत्तात्मक समाज के द्वारा प्रताड़ित चार महिलाएं हैं जिनका जीवन कठोर यातनाओं से भरा हुआ है। लेखिका ने नारी जीवन की उन उन्मुक्त आकांक्षाओं को उपन्यास के माध्यम से सामने रखा है जो समाज के परंपरागत ढांचे में दब चुकी स्त्री के अंतर्मन में उसकी पहचान को ढूंढने की छटपटाहट में ही दम तोड़ देती है। लेकिन कठगुलाब की ये स्त्रियां नियति के आगे विवश होकर घुटने टेक देने से इनकार करतीं हैं। ये स्त्रियां अपने अस्मिता की खोज में पुरुषवादी शोषण से संघर्ष करती हैं और परिस्थितियों से लड़ते हुए अपने आत्मसम्मान की रक्षा करने का साहस भी रखतीं है।
मृदुला गर्ग का यह उपन्यास नारी मुक्ति की संभावनाओं की पड़ताल करता है। स्त्री के दमन और शोषण की प्रकृति का चित्रण करते हुए कथानक किसी स्थान विशेष तक सीमित न रह कर भोगौलिक सीमाओं का अतिक्रमण कर जाता है। लेखिका ने नारी जाति के साथ पुरुषवादी मानसिकता के दोहरे मापदंडों को बारीकियों से उजागर करने में सफलता प्राप्त की है, साथ ही स्त्री के आत्मसम्मान और गरिमा के विविध आयामों का वास्तविक चित्रण किया है।
मृदुला गर्ग का यह उपन्यास नारी मुक्ति की संभावनाओं की पड़ताल करता है। स्त्री के दमन और शोषण की प्रकृति का चित्रण करते हुए कथानक किसी स्थान विशेष तक सीमित न रह कर भोगौलिक सीमाओं का अतिक्रमण कर जाता है। लेखिका ने नारी जाति के साथ पुरुषवादी मानसिकता के दोहरे मापदंडों को बारीकियों से उजागर करने में सफलता प्राप्त की है, साथ ही स्त्री के आत्मसम्मान और गरिमा के विविध आयामों का वास्तविक चित्रण किया है।
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